कैदी और कोकिला

कैदी और कोकिला
4.1कवि परिचय - माखनलाल चतुर्वेदी
माखनलाल चतुर्वेदी जिन्हें प्यार से पंडितजी भी कहा जाता है, एक भारतीय कवी, लेखक, निबंधकार, नाटककार और जर्नलिस्ट थे जो विशेष रूप से आज़ादी के लिये होने वाले भारतीय राष्ट्रिय आंदोलन में अपने सहभाग के लिये जाने जाते है.
चतुर्वेदी का जन्म 4 अप्रैल 1889 में मध्य प्रदेश के होशंगाबाद जिले के बावई ग्राम में हुआ था. जब वे 16 साल के थे तो वे एक स्कूल शिक्षक बने थे. बाद में वे राष्ट्रिय जर्नल प्रभा, प्रताप और कर्मवीर के एडिटर बने और ब्रिटिश राज में उन्होंने इनके जरिये ब्रिटिशो का विरोध भी किया. भारत की आज़ादी के बाद वे भारत सरकार में कार्यरत होना चाहते थे और देश की सेवा करना चाहते थे और इसीके चलते उन्होंने महात्मा गांधी का साथ भी दिया.
हिंदी साहित्य में Neo-Romanticism अभियान के लिये वे जाने जाते है. 1955 में हिंदी के हिम तरिंगिनी में उनके अतुल्य कामो के लिये उन्हें साहित्य अकादमी अवार्ड से सम्मानित किया गया था. 1963 में भारत सरकार ने उन्हें भारत का नागरिकत्व पुरस्कार पद्म भूषण से सम्मानित किया.
माखनलाल चतुर्वेदी के लेख –
  • ‘वेणु लो गूंजे धरा’
  • हिम कीर्तिनी
  • हिम तरंगिणी
  • युग चरण
  • साहित्य देवता


4.2 पाठ का सार


यह आजादी से पूर्व की कविता है। इसमें कवि ने अंग्रेज़ों के अत्याचारों का लिखित चित्रण किया है। स्वतंत्रता सेनानियों के यातनाओं को प्रदर्शित करने के लिए कवि ने कोयल का सहारा लिया है। जेल में बैठा एक कैदी कोयल को अपने दुःखों के बारे में बतला रहा है। अँगरेज़ उसे चोर, डाकू और बदमाशों के बीच डाले हुए हैं, भर पेट खाना भी नही दिया जाता है। उन्होंने अंग्रेज़ों के शासन को काला शासन कहा है। जहाँ उन्होंने बताया है कि यह वक़्त अब मधुर गीत सुनाने का नही बल्कि आजादी के गीत सुनाने का है। कवि ने कोयल चाहा है की वह स्वतंत्र नभ में जाकर गुलामी के खिलाफ लड़ने के लिए लोगों को प्रेरित करे।


4.3कविता का विवरण



क्या गाती हो?
क्यों रह जाती हो
कोकिल बोलो तो!
क्या लाती हो?
सन्देश किसका है?
कोकिल बोलो तो!
इस कविता में जेल में बंद स्वाधीनता सेनानी की व्यथा को दर्शाया गया है। कैदी कोयल से पूछता है कि वह क्या गाती और बीच में चुप क्यों हो जाती है। कैदी यह जानना चाहता है कि कोयल किसका संदेश लेकर आई है।
ऊँची काली दीवारों के घेरे में
डाकू, चोरों, बटमारों के डेरे में
जीने को देते नहीं पेट भर खाना
जीवन पर अब दिन रात कड़ा पहरा है
शासन है, या तम का प्रभाव गहरा है?
हिमकर निराश कर चला रात भी काली
इस समय कालिमामयी क्यूँ आली?
कवि ने जेल के माहौल का बड़ा सटीक वर्णन किया है। जेल डाकू, चोरों जैसे खतरनाक अपराधियों का बसेरा होता है। जेल में भर पेट भोजन भी नसीब नहीं होता है। वहाँ ना जीने दिया जाता है और ना ही मरने दिया जाता है। जीवन की हर गतिविधि पर कड़ा पहरा लगा होता है। ऐसा लगता है जैसे शासन नहीं बल्कि अंधेरे का प्रभाव पड़ा हुआ है। रात इतनी बीत चुकी है कि अब चाँद भी निराश करके जा चुका है। ऐसे में कवि को आश्चर्य होता है कि कोयल जैसा निरीह प्राणि वहाँ क्या कर रहा है।
क्यों हूक पड़ी?
वेदना बोझ वाली सी
कोकिल बोलो तो
क्या लुटा?
मृदुल वैभव की रखवाली सी
कोकिल बोलो तो!
कवि को लगता है कि कोयल की आवाज में एक वेदना से भरी हूक उठ रही है। ऐसा लगता है कि कोयल का संसार लुट गया है। मनुष्य जिस मानसिक स्थिति में होता है उसी तरह के मतलब वह अपने परिवेश से भी निकालता है। यदि आप खुश हैं तो सुबह के सूरज की लाली आपको सुंदर लगेगी। दूसरी ओर, यदि आप दुखी हैं तो वही लाली आपको रक्तरंजित लगने लगेगी।
क्या हुई बावली?
अर्ध रात्रि को चीखी कोकिल बोलो तो!
किस दावानल की ज्वालायें हैं दीखी?
कोकिल बोलो तो!
कवि को लगता है कि शायद कोयल ने आधी रात में जंगल की आग की भयावहता देख ली है इसलिए चीख रही है।
क्या? देख न सकती जंजीरों का गहना?
हथकड़ियाँ क्यों? ये ब्रिटिश राज का गहना।
कोल्हू का चर्रक चूं जीवन की तान।
गिट्टी पर अंगुलियों ने लिखे गान!
हूँ मोट खींचता लगा पेट पर जूआ
खाली करता हूँ ब्रिटिश अकड़ का कूआ
दिन में करुणा क्यों जगे, रुलानेवाली
इसलिए रात में गजब ढ़ा रही आली?
कैदी के जीवन पर जेल के असर का चित्रण यहाँ हुआ है। वहाँ पर बेड़ियाँ और हथकड़ियाँ ही कैदी का गहना बन जाती हैं। कोल्हू चलने से जो चर्र चूँ की आवाज आती है वही कैदी का जीवन गान बन जाती है। कोल्हू के डंडे पर कैदियों की अंगुलियों के निशान इस तरह पड़ गये हैं जैसे उस पर गाने उकेर दिये गये हों।
कवि को लगता है कि जुआ खींच कर वह अंग्रेजों की अकड़ का कुआँ साफ कर रहा है। दिन में शायद करुणा को जागने का समय नहीं मिल पाया होगा, इसलिए रात में वह कोयल के रूप में कैदियों का ढ़ाढ़स बंधाने आई है।
इस शांत समय में,
अंधकार को बेध, रो रही हो क्यों?
कोकिल बोलो तो
चुप चाप मधुर विद्रोह बीज
इस भाँति बो रही हो क्यों?
कोकिल बोलो तो!
यहाँ पर कवि को लगता है कि कोयल चुपचाप विद्रोह के बीज बो रही है। मनुष्य की एक असीम क्षमता होती है और वो है कठिन से कठिन परिस्थिति में भी उम्मीद की किरण देखने की। कवि को यहाँ पर कोयल के गाने में उम्मीद की किरण दिख रही है।
काली तू रजनी भी काली,
शासन की करनी भी काली,
काली लहर कल्पना काली,
मेरी काल कोठरी काली,
टोपी काली, कमली काली,
मेरी लौह श्रृंखला खाली,
पहरे की हुंकृति की व्याली,
तिस पर है गाली ए आली!
यहाँ पर जेल की हर चीज को कालिमा लिए बताया गया है। काला रंग हमारे यहाँ दु:ख और बुरी भावना का प्रतीक होता है। उस कालिमापन में जब पहरे का बिगुल बजता है तो वह गाली के समान लगता है।इस काले संकट सागर पर
मरने की, मदमाती!
कोकिल बोलो तो!
अपने चमकीले गीतों को
क्योंकर हो तैराती!
कोकिल बोलो तो!
कवि का मानना है कि कोयल अपना मधुर संगीत उस काले संकट के सागर पर बेकार खर्च कर रही है। कवि को लगता है कि कोयल अपनी जान देने को आमादा है।
तुझे मिली हरियाली डाली
मुझे मिली कोठरी काली!
तेरा नभ भर में संचार
मेरा दस फुट का संसार!
तेरे गीत कहावें वाह
रोना भी है मुझे गुनाह!
देख विषमता तेरी मेरी
बजा रही तिस पर रणभेरी!
यहाँ पर एक गुलाम और एक आजाद जिंदगी का अंतर दिखाया गया है। यह बताया गया है कि इनमे जमीन आसमान का अंतर है। जहाँ एक चिड़िया खुले नभ में घूमने को स्वच्छंद है वहीं एक कैदी को दस फुट की छोटी सी जगह में रहना पड़ता है। लोग कोयल के गाने की प्रशंसा करते हैं वही पर एक कैदी के लिए रोना भी मना है। इस विषमता को देखकर कवि का मन अंदर तक हिल जाता है।
इस हुंकृति पर,
अपनी कृति से और कहो क्या कर दूँ?
कोकिल बोलो तो!
मोहन के व्रत पर,
प्राणों का आसव किसमें भर दूँ?
कोकिल बोलो तो!
अब कवि कहता है कि कोयल की पुकार पर वह कुछ भी करने को तैयार है। मोहन का अर्थ है मोहनदास करमचंद गाँधी। कवि चाहता है कि जेल के बाहर जो भी आजाद प्राणि मिले, कोयल के द्वारा उसमें गुलामी के खिलाफ लड़ने की जान फूँक दे।

4.4 प्रश्न अभ्यास

1. कोयल की कूक सुनकर कवि की क्या प्रतिक्रिया थी ?

उत्तर

कोयल की कूक सुनकर कवि को ऐसा लगता है जैसे कोयल उसके लिए कोई संदेशा लेकर आई है। सन्देश महत्वपूर्ण है नहीं तो कोयल सुबह होने तक का इंतज़ार करती।

2. कवि ने कोकिल के बोलने के किन कारणों की संभावना बताई ?

उत्तर

कवि ने कोयल के बोलने की निम्न संभावनाएँ बताई हैं -
1. कोकिला कोई संदेशा पहुँचाना चाहती है।
2. उसने दावानल की लपटें देख लीं है।
3. समस्या अत्यंत गंभीर है इसलिए वह सुबह होने की प्रतीक्षा नहीं कर पाती है।
4. क्रांतिकारीयों के मन में देश-प्रेम की भावना को और मजबूत करने आई है।

3. किस शासन की तुलना तम के प्रभाव से की गई है और क्यों ?

उत्तर

अंग्रेज़ो के शासन की तुलना तम के प्रभाव से की गयी है क्योंकि अँगरेज़ सरकार की कार्य प्रणाली अन्धकार की तरह काली है। यहाँ अन्धकार का मतलब अन्याय से है । अँग्रेज शासन प्रणाली अन्यायपूर्ण थी।

4. कविता के आधार पर पराधीन भारत की जेलों में दी जाने वाली यंत्रणाओं का वर्णन कीजिए।

उत्तर

कविता के आधार पर हम यह कह सकते हैं कि तत्कालीन समाज में अंग्रेज़ों द्वारा भारतीय कैदियों को तरह तरह की यातनाएँ दी जाती थी। कैदियों से पशुओं की तरह काम करवाया जाता था। उन्हें अँधेरी कोठरियों में कैदियों को जंजीरों से बाँध कर रखा जाता था। कोठरियां भी बहुत छोटी होती थीं और खाने को भी कम दिया जाता था।

5. भाव स्पष्ट कीजिए।
(क) मृदुल वैभव की रखवाली-सी, कोकिल बोलो तो!
(ख) हूँ मोट खींचता लगा पेट पर जुआ, खाली करता हूँ ब्रिटिश अकड़ का कुँआ।

उत्तर

(क) मृदुल वैभव की रखवाली से यहाँ कवि का तात्पर्य कोयल की मीठी तथा कोमल आवाज़ से है। उसकी आवाज़ में मिठास होने के बाद भी जब वह वेदना पूर्ण आवाज़ में चीख़ उठती है तो कवि उससे उसकी वेदना का कारण पूछता है।
(ख) अंग्रेज़ी सरकार कवि से पशुओं के समान परिश्रम करवाते हैं। कवि के पेट पर जुआ बाँधकर कुँए से पानी निकाला जाता है। परन्तु इससे भी वे दु:खी नहीं होते तथा अंग्रेज़ी सरकार के षड़यंत्र को विफल कर उनकी अकड़ को समाप्त कर देना चाहते हैं।

6. अद्धरात्रि में कोयल की चीख से कवि को क्या अंदेशा होते है ?

उत्तर

अद्धरात्रि में कोयल के चीखने से कवि को अनेकों अंदेशे होते है जैसे शायद कोयल पागल तो नहीं हो गयी है, या शायद वह किसी कष्ट में है या कोई सन्देश लेकर आईं हैं या यह भी हो सकता है कि वह क्रांतिकारियों के दुःख से द्रवित होकर चीख रही हो।

7. कवि को कोयल से ईर्ष्या क्यों हो रही है ?

उत्तर

कोयल की स्वतंत्रता से कवि को ईर्ष्या हो रही है। वह आकाश में स्वतंत्रता से उड़ान भर रही है और कवि जेल की काल कोठरी में बंद है। कोयल गाकर अपने आनंद को प्रकट कर सकती है पर कवि के लिए तो रोना भी एक बड़ा गुनाह है जिसके लिए उसे दंड भी मिल सकता है।

8. कवि के स्मृति-पटल पर कोयल के गीतों की कौन सी मधुर स्मृतियाँ अंकित हैं, जिन्हें वह अब नष्ट करने पर तुली है ?

उत्तर

कवि के स्मृति पटल पर कोयल के गीतों की कुछ मधुर स्मृतियाँ अंकित हैं। कोयल हरी डाली पर बैठकर अपनी मधुर वैभवशाली आवाज़ से संपूर्ण सृष्टि को अलंकृत करती है, उसके मधुर गीतों से उसकी खुशी झलकती है, वह स्वतंत्रता पूर्वक अपना गीत गाती है परन्तु अब वह अपनी इन विशेषताओं को नष्ट करने पर तुली है। वह बावली सी प्रतीत हो रही है।

9. हथकड़ियों को गहना क्यों कहा गया है ?

उत्तर

कवि ने हथकडियांगलत काम कर नही पहनी हैं। उन्हें स्वतंत्रता संग्राम  में भाग लेने के कारण अँगरेज़ सरकार ने हथकड़ियाँ पहनाई हैं जो उनके लिए यह गौरव की बात है। इसलिए हथकड़ियों को गहना कहा गया है।

10. 'कलि तू .....ऐ आली!' - इन पंक्तियों में 'काली' शब्द की आवृत्ति से उत्पन्न चमत्कार का विवेचन कीजिए।

उत्तर

इन कविता की पंक्तियों में कवि ने नौ बार काली शब्द का प्रयोग किया है। शब्द तो एक ही है परन्तु भिन्न -भिन्न अर्थों में इसका प्रयोग किया गया है। कही पर यह शब्द अँग्रेज सरकार के काले शासन को संबोधित कर रहा है तो कहीं वातावरण की कालिमा और निराशा को उजागर कर रहा है।

पृष्ठ संख्या: 111

11. काव्य - सौंदर्य स्पष्ट कीजिए -
(क) किस दानावल की ज्वालाएँ हैं दीखीं ?
(ख) तेरे गीत कहावें वाह, रोना भी है मुझे गुनाह!
देख विषमता तेरी - मेरी बजा रही तिस पर रणभेरी!

उत्तर

(क) यहाँ कवि कोयल की वेदना पूर्ण आवाज़ पर अपनी आशंका व्यक्त कर रहा है। अपनी प्रश्नात्मक शैली से कवि कोयल के कष्ट का अनुमान लगा रहा है। कवि ने विम्बात्मक शैली का प्रयोग किया है, भाषा में सहजता तथा सरलता है।
(ख) प्रस्तुत काव्य पंक्तियों में कवि ने अपने तथा कोयल के जीवन की विषमताओं की ओर संकेत किया है। कवि ने यहाँ तुकबंदी का प्रयोग किया है, अपनी तथा कोयल के जीवन की तुलना की है तथा सरल भाषा का प्रयोग किया है।

रचना  और अभिव्यक्ति

12. कवि जेल के आसपास अन्य पक्षियों का चहकना भी सुनता होगा लेकिन उसने कोकिला की ही बात क्यों की है ?

उत्तर

यहाँ कोकिला भारत माता का प्रतीक है। कोकिला रात के समय नहीं बोलती है। उसकी आवाज़ से कवि को वेदना की अनुभूति होती है। अत: रात को उसका इस प्रकार से करुण स्वर में गाना आने वाले किसी संकट का प्रतीक है। कोकिला की आवाज़ अन्य पक्षियों से अधिक मधुर तथा भिन्न है। इसलिए कवि ने कोकिला की ही बात कही है।

13. आपके विचार से स्वतंत्रता सेनानियों और अपराधियों के साथ एक-सा व्यवहार क्यों किया जाता होगा ?

उत्तर

अँगरेज़ सरकार के लिए स्वंतंत्रता सेनानी और अपराधी एक जैसे थे। दोनों उनकी व्यवस्था में खलल डालने काम करते थे।  सरकार के लिए दोनों ही दोषी थे। सरकार क्रांतिकारियों की आज़ादी की माँग को दबाना चाहती थी। स्वतंत्रता सैनानियों के मनोबल को तोड़ने के लिए तथा भारत पर अपनी सत्ता कायम रखने के लिए वे दोनों के साथ समान व्यवहार करती थी।


Comments

  1. "कविता का विवरण" अति सुन्दर ढङ्ग में लिखित है ,वस्तुतः विचार जगाने वाला है।

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  2. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" शनिवार 04 जुलाई 2020 को लिंक की जाएगी ....
    http://halchalwith5links.blogspot.com
    पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद!

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